पशुधन संसार

पशुपालक बाढ़ से पशुओं को कैसे बचाएँ

भारत में बाढ़ और पशुपालकों के लिए आवश्यक तैयारियाँ

भारत में बाढ़ एक आम प्राकृतिक आपदा है, जो हर साल कई राज्यों में जान-माल की भारी क्षति करती है। इसका असर न सिर्फ इंसानों पर, बल्कि पशुधन पर भी गहरा पड़ता है। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ पशुपालन आजीविका का मुख्य साधन है, वहां बाढ़ के दौरान पशुओं की जान को गंभीर खतरा होता है। ऐसे में पशुपालकों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे समय रहते उचित तैयारियाँ करें, जिससे बाढ़ के समय अपने पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

इस लेख में हम जानेंगे कि पशुपालक बाढ़ से पहले, दौरान और बाद में अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकते हैं।


1. बाढ़ से पहले की तैयारी:

बाढ़ की आशंका होने पर निम्नलिखित एहतियाती उपाय समय रहते अपनाना आवश्यक है:

  • ऊँचे स्थान की पहचान: पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए पहले से ऊँचे और जलभराव से मुक्त स्थान चिह्नित करें।

  • अस्थायी आश्रय बनाएँ: तिरपाल, लकड़ी या बांस से अस्थायी शरणस्थल तैयार रखें, जहाँ आपातकालीन स्थिति में पशुओं को ले जाया जा सके।

  • भोजन व पानी का भंडारण: 7-10 दिनों तक के लिए सूखा चारा और साफ पीने योग्य पानी स्टोर करें।

  • चिकित्सा किट तैयार रखें: आवश्यक दवाइयाँ, फर्स्ट एड सामग्री और टीकाकरण की व्यवस्था पहले से कर लें।

  • पहचान चिन्ह लगाएँ: पशुओं की पहचान के लिए टैग या पेंट से कोई निशान लगा दें, ताकि वे बिछड़ने पर आसानी से पहचाने जा सकें।

  • प्रशासन से संपर्क बनाए रखें: बाढ़ की स्थिति में स्थानीय पशुपालन विभाग और प्रशासन से समन्वय बनाए रखें।


2. बाढ़ के दौरान बरती जाने वाली सावधानियाँ:

जब बाढ़ आ जाती है, तब पशुओं की सुरक्षा के लिए सावधानीपूर्वक और शांतिपूर्ण ढंग से कार्य करें:

  • पशुओं को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाएँ: पहले से चिन्हित ऊँचे स्थानों पर उन्हें ले जाएँ।

  • अत्यधिक भीड़ से बचें: बहुत अधिक पशु एक जगह न रखें ताकि भगदड़ या चोट से बचा जा सके।

  • स्वच्छ भोजन और पानी दें: बाढ़ का पानी दूषित हो सकता है, इसलिए स्वच्छ पानी और सूखा चारा ही दें।

  • बिजली के उपकरणों से दूरी बनाए रखें: जलभराव वाली जगहों में बिजली के तार या उपकरणों के पास न जाएँ।

  • लगातार निगरानी करें: भयभीत पशुओं पर नजर रखें और उन्हें शांत वातावरण दें।

  • बीमार पशु को अलग रखें: बीमारी फैलने से रोकने के लिए बीमार पशु को अलग रखें और डॉक्टर से संपर्क करें।

  • प्रशासन की चेतावनियों का पालन करें: हर निर्देश को गंभीरता से लें।


3. बाढ़ के बाद की देखभाल:

बाढ़ के थमने के बाद भी खतरा टला नहीं होता। इस समय पशुओं की देखभाल और पुनर्वास पर विशेष ध्यान दें:

  • स्वास्थ्य परीक्षण कराएँ: पशुओं की संपूर्ण जांच कराएँ और जरूरत पड़ने पर उपचार कराएँ।

  • रहने की जगह की सफाई करें: कीचड़ और गंदगी हटाकर स्थान को सूखा और स्वच्छ बनाएं।

  • चारे और पानी की गुणवत्ता जांचें: सड़ा-गला चारा न दें और पानी को उबालकर या फिल्टर कर ही पिलाएँ।

  • संक्रमण से बचाव: टीकाकरण और मच्छर-कीट नियंत्रण हेतु छिड़काव करें।

  • मानसिक तनाव पर ध्यान दें: पशु तनावग्रस्त हो सकते हैं, उन्हें शांत और सुरक्षित माहौल दें।

  • धीरे-धीरे पुनर्वास करें: यदि पशुओं को अस्थायी रूप से कहीं और ले जाया गया हो, तो उन्हें धीरे-धीरे उनकी पुरानी दिनचर्या में वापस लाएँ।

  • बाढ़ जैसी आपदा में सजगता और समय पर की गई तैयारी से पशुओं की सुरक्षा संभव है। एक जिम्मेदार पशुपालक के रूप में यदि आप इन बिंदुओं का पालन करते हैं, तो आप न सिर्फ अपने पशुधन की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि अपनी आजीविका को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

Related Articles

Back to top button