
भारत का पहला सहकारी मल्टी-फीड सीबीजी प्लांट शुरू, किसानों की बढ़ेगी आय
किसानों की आय बढ़ाने और देश को हरित ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में देश का पहला सहकारी मल्टी-फीड कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) प्लांट शुरू हुआ है। यह संयंत्र न केवल किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा बल्कि कृषि अवशेषों यानी पराली (crop residues) से स्वच्छ ऊर्जा और उपयोगी उपज तैयार कर पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएगा।
किसानों के लिए नई उम्मीद, बायोगैस और पोटाश से दोहरा लाभ
इस मल्टी-फीड सीबीजी प्लांट से प्रतिदिन 12 टन कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) और 75 टन पोटाश का उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना से किसानों को दोहरा फायदा मिलेगा, एक ओर वे अपने खेतों से निकलने वाले अवशेषों को प्लांट में बेचकर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकेंगे। वहीं दूसरी ओर पोटाश जैसे उपजाऊ उर्वरक उन्हें कम कीमत पर उपलब्ध होंगे। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इससे किसानों को खेती की लागत घटाने में सहायता मिलेगी और खेतों में प्राकृतिक उर्वरक के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। वहीं बायोगैस के उत्पादन से गांवों में हरित ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ेगी और डीजल-आधारित ऊर्जा पर निर्भरता घटेगी।
55 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ प्लांट
अहिल्यानगर जिले के कोपरगांव स्थित महर्षि शंकरराव कोल्हे सहकारी साखर कारखाना परिसर में यह संयंत्र स्थापित किया गया है। करीब 55 करोड़ रुपए की लागत से तैयार इस परियोजना का उद्घाटन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। यह प्लांट देश में सहकारी क्षेत्र द्वारा स्थापित पहला मल्टी-फीड सीबीजी संयंत्र है, जिसे चीनी उद्योग से जुड़े अपशिष्ट पदार्थों जैसे प्रेस मड, गन्ने की बगास, शीरा (molasses) और कृषि अवशेषों से चलाया जाएगा। इससे न केवल गन्ना किसानों को नई आमदनी का स्रोत मिलेगा, बल्कि चीनी मिलों को भी एक स्थायी और पर्यावरण हितैषी बिजनेस मॉडल अपनाने का अवसर मिलेगा।
सरकार देगी 15 और चीनी मिलों को सहयोग
इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि यह परियोजना देश में सहकारी चीनी उद्योग के लिए एक मॉडल प्रोजेक्ट साबित होगी। उन्होंने घोषणा की कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) के माध्यम से सरकार जल्द ही देश की 15 अन्य चीनी मिलों को ऐसे ही सीबीजी संयंत्र लगाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। शाह ने कहा कि यह योजना न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायता करेगी, बल्कि देश में पोटाश और बायोगैस जैसे उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करेगी। वर्तमान में भारत इन उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा विदेशों से आयात करता है। ऐसे संयंत्रों के शुरू होने से देश को हर साल अरबों रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
किसानों की आमदनी और रोजगार दोनों में इजाफा
इस परियोजना से हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। खेतों से निकलने वाले गन्ने के अवशेष, भूसा और अन्य बायोवेस्ट को बेचकर किसान अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकेंगे। वहीं, संयंत्र के संचालन से ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके अलावा इस प्लांट से उत्पन्न पोटाश स्थानीय बाजार में कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे किसानों की उर्वरक लागत में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी आएगी। साथ ही जैविक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की सेहत सुधरेगी और फसल की उत्पादकता में भी सुधार होगा।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत” और “वेस्ट टू वेल्थ (कचरे से कमाई)” मिशन का एक उत्कृष्ट उदाहरण मानी जा रही है। देश भर में ऐसे कई बायोगैस संयंत्र स्थापित करने की योजना है, जिससे कृषि अवशेषों का बेहतर उपयोग, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा सके। सरकार का लक्ष्य आने वाले वर्षों में कम से कम 5000 सीबीजी संयंत्रों की स्थापना करना है। इन संयंत्रों के माध्यम से देश न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि किसानों को स्थायी आय का स्रोत भी प्राप्त होगा। इस पहल के माध्यम से सहकारी संस्थाओं की भूमिका भी काफी मजबूत हुई है। अब सहकारी चीनी मिलें सिर्फ गन्ना पेराई तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि वे ऊर्जा उत्पादन और जैविक उर्वरक निर्माण जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय भूमिका निभा सकेंगी। इससे सहकारी क्षेत्र की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी।
पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान
CBG प्लांट का एक बड़ा लाभ पर्यावरण के क्षेत्र में देखने को मिलेगा। खेतों में पराली जलाने जैसी समस्याओं से बचाव होगा क्योंकि अब किसानों के पास उन अवशेषों को बेचने का विकल्प होगा। इससे वायु प्रदूषण में कमी आएगी और कार्बन उत्सर्जन घटेगा। साथ ही, बायोगैस को वाहनों और औद्योगिक उपयोग के लिए स्वच्छ ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस तरह अहिल्यानगर में शुरू हुआ यह सहकारी मल्टी-फीड CBG प्लांट न केवल किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम बनेगा, बल्कि देश को ऊर्जा और उर्वरक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इससे न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत कृषि विकास का भी मार्ग प्रशस्त होगा।



