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धान की फसल पर भूरा फुदका कीट का खतरा, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी

देश के कई हिस्सों में हो रही अनियमित बारिश और बदलते मौसम के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खासकर धान की फसल पर अब भूरा फुदका (ब्राउन प्लांट हॉपर) कीट का खतरा मंडराने लगा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), पूसा ने किसानों को इस खतरे को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है और एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी भी जारी की है।

क्या है भूरा फुदका कीट

भूरा फुदका एक प्रकार का मच्छरनुमा कीट है जो धान के पौधों के तनों के पास बैठकर उनका रस चूसता है। यह कीट पौधों को इस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है कि पूरा खेत सूखने लगे और किसान को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़े। खासकर, जब फसल बढ़वार की स्थिति में होती है, तब यह कीट अधिक घातक साबित होता है।

खेत में ऐसे करें भूरा फुदका कीट की पहचान

पूसा संस्थान के विशेषज्ञों के अनुसार, इस कीट की पहचान के लिए धान के पौधे के निचले हिस्से का निरीक्षण करना जरूरी है। यह कीट नीचे की तरफ छिपा होता है और सामान्य नजर से दिखता नहीं है। यह पौधों से रस चूसकर उन्हें कमजोर बना देता है, जिससे फसल का पीला पड़ना, सूखना और उत्पादन में भारी गिरावट देखी जाती है।

कीटों से बचाव के लिए वैज्ञानिकों की सलाह

ICAR पूसा द्वारा किसानों को सुझाव दिया गया है कि वे वर्तमान मौसम को देखते हुए फसलों पर किसी भी प्रकार का रासायनिक छिड़काव तुरंत ना करें, विशेष रूप से बारिश की संभावना के दौरान। इसके बजाय विभिन्न रोगों की स्थिति निम्न उपाय अपनाएं:

  • फेरोमोन ट्रैप्स की मदद से तना छेदक कीट की निगरानी करें। प्रति एकड़ 3-4 फेरोमोन ट्रैप्स लगाएं।
  • यदि पत्ता मरोड़ या तना छेदक का प्रकोप अधिक हो तो करटाप 4% दानेदार कीटनाशक को 10 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • खेतों का जलभराव से बचाव करें, क्योंकि गीली और गर्म परिस्थितियों में भूरा फुदका तेजी से फैलता है।
  • खेत की नियमित निगरानी करें और यदि कीट की संख्या बढ़ रही हो तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें।

सब्जी और अन्य फसलों के लिए पूसा की एडवाइजरी

पूसा की एडवाइजरी सिर्फ धान तक सीमित नहीं है, बल्कि सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए भी उपयोगी है। विशेषकर इस समय गाजर, प्याज, मिर्च, बैंगन, टमाटर और फूलगोभी जैसी फसलों की बुवाई और रोपाई के सही तरीके बताए गए हैं।

  • गाजर की उन्नत किस्म ‘पूसा वृष्टि’ को 4–6 किग्रा प्रति एकड़ की दर से बोएं। बुवाई से पहले बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित करें।
  • टमाटर, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी की रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों की बेलों को ऊपर चढ़ाने की व्यवस्था करें ताकि बारिश से गलने से बचाव हो सके।

फल मक्खी से भी है खतरा

इस समय फल मक्खी का प्रकोप भी देखने को मिल रहा है, जो सब्जियों को नुकसान पहुंचा सकती है। बचाव के लिए प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्ढे में दबा दें। खेत में अलग-अलग स्थानों पर गुड़ या चीनी के साथ कीटनाशी मिलाकर घोल तैयार करें और कप या छोटे बर्तन में रखें। इससे फल मक्खी को आकर्षित कर खत्म किया जा सकता है।

मधुमक्खियों को न मारें, खेती में हैं सहायक

एडवाइजरी में किसानों को मधुमक्खियों के संरक्षण की भी सलाह दी गई है, क्योंकि ये कीट परागण में अहम भूमिका निभाते हैं। जितना संभव हो, मधुमक्खियों के पालन को प्रोत्साहित करें।

सतर्कता ही बचाव है, कीटों की समय रहते निगरानी करें

मौजूदा मौसम में फसलों पर कई तरह के कीटों का खतरा बढ़ गया है, लेकिन सबसे बड़ा खतरा धान की फसल में भूरा फुदका कीट से है। समय रहते निगरानी और वैज्ञानिक सलाह पर अमल करने से किसानों को भारी नुकसान से बचाया जा सकता है। ऐसे में हर किसान को चाहिए कि वह पूसा या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क बनाए रखे और उचित उपायों को अपनाकर अपनी मेहनत की फसल को सुरक्षित बनाए।

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