
कृषि शिक्षा केवल रोजगार नहीं, नवाचार और समाज सेवा का माध्यम : डॉ. अग्रवाल
कृषि सदैव भारत की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सभ्यता की रीढ़ रही है। वर्तमान समय में कृषि केवल अन्न उत्पादन तक सीमित
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा सत्र 2025-26 में नव प्रवेशित स्नातक पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों को चार वर्षीय पाठ्यक्रम के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराने हेतु आयोजित 14 दिवसीय प्रेरण कार्यक्रम ‘‘दीक्षा आरंभ’’ के चतुर्थ दिवस को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भूतपूर्व इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में आयोजित दीक्षारंभ (छात्र परिचय कार्यक्रम) में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व उपमहानिदेशक डॉ. आर.सी. अग्रवाल एवं सहायक महानिदेश डॉ. सीमा जग्गी, सहायक महानिदेशक (कृषि शिक्षा) ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को संबोधित किया।
डॉ. सीमा जग्गी ने संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को यह अवसर उनके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है, जहाँ उनके सपने सार्थक कार्यों में परिवर्तित होंगे और ज्ञान के बीज एक उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेंगे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कृषि सदैव भारत की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सभ्यता की रीढ़ रही है। वर्तमान समय में कृषि केवल अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि पोषण, स्थिरता और जलवायु-लचीलापन सुनिश्चित करने का दायित्व भी निभा रही है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आईजीकेवी के युवा इस महान मिशन के वाहक हैं और आईसीएआर का उद्देश्य उन्हें केवल रोजगार तक सीमित न रखते हुए नेतृत्व, नवाचार और समाज सेवा के लिए तैयार करना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में बिताए गए वर्ष विद्यार्थियों को केवल उपाधि ही नहीं देंगे, बल्कि मूल्य, कौशल और उत्तरदायित्व की भावना भी प्रदान करेंगे। कक्षाएँ और प्रयोगशालाएँ उनके मस्तिष्क को प्रशिक्षित करेंगी, जबकि खेत और फार्म उन्हें मिट्टी से गहरा संबंध जोड़ने का अवसर देंगे।
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि दीक्षारंभ का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को पूरे विश्वविद्यालय की संरचना, गतिविधियों और अवसरों की जानकारी देना है, ताकि वे शिक्षा के साथ-साथ विभिन्न शैक्षणिक एवं सामाजिक गतिविधियों से जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र के भीतर एक विशेष प्रतिभा होती है, जिसे सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन के माध्यम से बाहर लाया जा सकता है। उन्होंने विद्यार्थियों से आपसी संवाद और सहयोग पर बल देते हुए कहा कि एक-दूसरे को जानने और समझने से सामूहिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने बताया कि छात्रों को प्रेरित करने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें उनकी क्षमताओं का एहसास कराना और उन्हें समाज के प्रति अपने दायित्वों की याद दिलाना। डॉ. अग्रवाल ने यह भी कहा कि छात्र विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से जुड़कर अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे दीक्षारंभ जैसे कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लें, जिससे उनमें आत्मविश्वास और उत्साह का संचार हो सके। कार्यक्रम में उन्होंने यह देखकर खुशी व्यक्त की कि छात्र-छात्राएँ उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं और उन्होंने इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि दीक्षारंभ कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शुरू किया गया है और यह वास्तव में एक सराहनीय कदम है, जो विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और नैतिक रूप से भी सशक्त बनाएगा। दीक्षा आंरभ कार्यक्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर परिसर के अंतर्गत संचालित कृषि महाविद्यालय रायपुर, स्वामी विवेकानंद कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय रायपुर एवं खाद्या प्रौद्योगिकी महाविद्यालय रायपुर के विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक ऑफलाइन एवं अन्य कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से शामिल हुए।


