
प्राकृतिक खेती के लिए सरकार शुरू करेगी राष्ट्रीय मिशन, ₹2481 करोड़ होंगे खर्च
राष्ट्रीय मिशन प्राकृतिक खेती 2025: 1 करोड़ किसानों को होगा फायदा
2025 में खेती में कई आधुनिक तकनीकें आ रही हैं जिनसे भारत का कृषि क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। इसी बीच प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार 23 अगस्त को अपने नेशनल मिशन ऑन नेचरल फार्मिंग (NMNF) का शुभारंभ करेगी। इस योजना के तहत ₹2,481 करोड़ रुपये खर्च कर 7.5 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा और 1 करोड़ किसानों की आय बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
PM प्राकृतिक खेती मिशन
ET की प्रकाशित खबर में सीनियर सरकारी अधिकारी के बयान के अनुसार इस लक्ष्य की परिकल्पना नीति आयोग ने की थी और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इसको लागू किया। केंद्र सरकार इसमें ₹1584 करोड़ का योगदान देगी और राज्य सरकारें ₹897 करोड़ का योगदान देंगी। इस प्रोग्राम का रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। इस सरकारी योजना की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर किसान रजिस्टर कर सकते हैं।
‘कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय’ अगले दो वर्ष तक इस योजना को चलाएगा और बजट वितरण की सफलता और उपयोग के अनुसार योजना का विस्तार होगा।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उद्देश्य
इस मिशन का सिर्फ एक उद्देश्य नहीं है, बल्कि कई उद्देश्य हैं:
- खेतों में फसल की पैदावार बढ़ानी है।
- इनपुट लागत और खरीदे हुए इनपुट यानी कृषि उपकरणों पर निर्भरता को कम करना है।
- भारत के किसानों की आय बढ़ाना है, ताकि वे कम लागत में ज्यादा उत्पादन कर सके।
- खेत में मिट्टी के स्वास्थ्य काे बेहतर करना है।
- गांवों में राेजगार के अवसर लाना है।
कैसे काम करेगा प्राकृतिक खेती मिशन?
इस मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में 15000 क्लस्टर बनाए जाएंगे और उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जहां प्राकृतिक खेती पहले से प्रचलित है जैसे आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु। NMNF के तहत, 10,000 बायो-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे जो किसानों को आसान प्राकृतिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराएंगे। सरकार मार्केट में प्राकृतिक उत्पादों की सप्लाई के लिए एक सरल सर्टिफिकेशन सिस्टम बनाएगी और एकीकृत ब्रांडिंग यानी एक पहचान वाली मार्केटिंग स्ट्रैटेजी भी प्रदान करेगी। प्राकृतिक खेती योजना 2025 में पारदर्शिता बनाने के लिए और इस मिशन की प्रगति पर नज़र रखने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से रियल टाइम, जियो-टैग्ड मॉनिटरिंग की जाएगी।


