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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताजा रिपोर्ट: शिप्रा का पानी डी कैटेगरी काइस पानी का इस्तेमाल पीने या नहाने के लिए नहीं किया जा सकता

साल 2028 में होने जा रहे सिंहस्थ को लेकर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न निर्माण किए जा रहे हैं. भीड़ और व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए अधोसंरचना को मजबूत किया जा रहा है. यातायात, स्वच्छता, जलापूर्ति और आवासीय सुविधाओं समेत तमाम इंतजाम सरकार द्वारा किए जा रहे हैंl

ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती मोक्षदायिनी शिप्रा  के पानी को साफ करना है, क्योंकि सिंहस्थ के दौरान इस नदी में स्नान का अलग महत्व है. लेकिन मोक्षदायिनी क्षिप्रा को लेकर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक ताजा रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार के साथ करोड़ो श्रद्धालुओं की चिंता भी बढ़ा दी हैl

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी की गई साल 2024-25 की रिपोर्ट में बताया गया है कि शिप्रा  का पानी डी कैटेगरी का है. इस पानी का इस्तेमाल पीने या नहाने के लिए नहीं किया जा सकता है. दरअसल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने देवास और उज्जैन जिले में स्थित क्षिप्रा नदी के 16 घाटों के पानी की जांच कराई. जिसमें सामने आया कि 16 स्थानों में से लिए सैंपल में एक स्थान पर ए, दो स्थानों पर सी और 13 स्थानों पर डी कैटेगरी का पानी मिला है. ऐसे जल का इस्तेमाल केवल मत्स्य पालन, औद्योगिक इस्तेमाल या कृषि के लिए ही किया जा सकता हैl

कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट से साफ होगी शिप्रा  

बता दें कि पीसीबी की इस रिपोर्ट पर प्रदेश सरकार भी चिंतित है. इसके समाधान के लिए करीब 919 करोड़ रुपए से नदी जोड़ो योजना पर काम किया जा रहा है. दरअसल इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का पानी उज्जैन में शिप्रा   नदी से मिलता है. जिसके कारण क्षिप्रा का पानी दूषित हो जाता है. लेकिन अब शिप्रा   में गंदा पानी न जाए इसके लिए कान्ह क्लोज डक्ट प्रोजेक्ट बनाया गया है. इस डक्ट के माध्यम से कान्ह नदी का पानी सीधे आगे निकल जाएगा और क्षिप्रा में नहीं मिलेगा. इस प्रोजेक्ट में कान्ह नदी को जमीन के 100 फीट नीचे और 12 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर डायवर्ट किया जा रहा हैl

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