पर्यावरण संसार

’’बिहान’ योजना के तहत महिला किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल, एकीकृत फार्मिंग क्लस्टर के माध्यम से लखपति बनने की राह

बेमेतरा । कलेक्टर रणबीर शर्मा के मार्गदर्शन मे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ’’बिहान’’ के अंतर्गत महिला किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से बेमेतरा जिले के नवागढ़ विकासखंड में महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत एकीकृत फार्मिंग क्लस्टर का गठन किया गया है। इस महत्वपूर्ण पहल के तहत दो फार्मिंग क्लस्टर बनाए गए हैं, जिनमें कुल 600 महिला किसानों का चयन किया गया है।
एकीकृत फार्मिंग क्लस्टर का उद्देश्य महिला किसानों को केवल पारंपरिक खेती तक सीमित न रखते हुए उन्हें कई प्रकार की आजीविका गतिविधियों से जोड़ना है, जैसे कि सब्जी उत्पादन, मुर्गीपालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन, पोषण वाटिका, खाद्य प्रसंस्करण आदि। इस बहुआयामी आजीविका मॉडल के माध्यम से महिलाएं अधिक आय अर्जित कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी, जो सीधे तौर पर उनके परिवार और समुदाय के समग्र विकास में सहायक होगा।
इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा 01 से 30 अगस्त 2025 तक ’’एक्सेलरेशन कैंपेन’’ का आयोजन किया जा रहा है। इस विशेष अभियान का उद्देश्य आईएफसी परियोजना को तेजी से क्रियान्वित करना, दीदियों को जागरूक करना, और आजीविका गतिविधियों की प्रभावी योजना बनाना है। अभियान के दौरान चयनित महिला किसानों के साथ ग्राम स्तर पर विशेष बैठकें आयोजित की जा रही हैं, जिनमें उनकी जरूरतों, संसाधनों और स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आजीविका गतिविधियों की व्यवस्थित योजना तैयार की जा रही है।
साथ ही, महिला किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, संसाधन उपयोग, तकनीकी जानकारी, और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेसलाइन सर्वेक्षण भी किया जा रहा है, ताकि परियोजना की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जा सके और आगे की योजना को बेहतर तरीके से कार्यान्वित किया जा सके।
इस अभियान की शुरुआत नवागढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत बघुली और धोबनी खुर्द से की गई है। इन गांवों में महिला समूहों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं अब कृषि और अन्य ग्रामीण उद्यमों में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सजग एवं तत्पर हैं। ’’बिहान’’ योजना के अंतर्गत चल रही यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, जिससे न केवल दीदियों को आर्थिक संबल मिलेगा बल्कि पूरे समाज में उनकी स्थिति को भी मजबूती मिलेगी।

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