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धान की फसल में करें इन उर्वरकों का छिड़काव, पैदावार में होगा जबरदस्त इजाफा

भारत में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान है। कई राज्यों में धान की खेती होती है। इस बार भी किसानों ने धान की बुवाई की है। अधिकांश क्षेत्राें में धान की बुवाई का काम पूरा हो चुका है। अब किसान धान की फसल की देखभाल कर रहे हैं, ताकि उन्हें इससे अच्छी पैदावार मिल सके। किसानों के लाभार्थ कृषि विभाग के अधिकारियों ने धान की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के उपाय बताए हैं, यदि आप भी धान किसान है तो यह खबर आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती है, तो आइए जानते हैं, इसके बारे में।

धान की पहली टॉप डेसिंग में किन उर्वरकों का करें इस्तेमाल

दअसल जबलपुर कृषि विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में पाटन विकासखंड के ग्राम उड़ना सड़क का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने किसानों को धान की पहली टॉप ड्रेसिंग में किन-किन उर्वरकों का इस्तेमाल करना चाहिए, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस फील्ड विजिट के दौरान अनुविभागीय कृषि अधिकारी डॉ. इंदिरा त्रिपाठी और सहायक संचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने धान के खेतों का निरीक्षण किया। उन्होंने किसान ओंकार पटेल, निमित्य पटेल और महेंद्र पटेल को खाद मिक्स करके छिड़काव करते देखा और उनसे कृषि तकनीक के संबंध में चर्चा की। अधिकारियों ने किसानों को बताया कि जहां धान की रोपाई की जाती है, वहां खेत में कीचड़ मचाते समय सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP), डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) या एनपीके उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए। इससे फसल को पोषण मिलता है और उत्पादन बेहतर होता है।

इस तरह न करें खाद-उर्वरकों का उपयोग, हो सकता है नुकसान 

कृषि अधिकारियों ने किसानों को चेतावनी दी कि धान की पहली टॉप ड्रेसिंग में डीएपी, यूरिया, जिंक सल्फेट, अमोनियम सल्फेट, कैल्शियम सल्फेट, फेरस सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट आदि उर्वरकों को एक साथ मिलाकर छिड़कना गलत है। ऐसा करने से न तो फसलों को इन उर्वरकों का पूरा लाभ मिलता है और न ही उत्पादन लागत कम होती है, बल्कि इससे फसल को नुकसान भी हो सकता है।

उर्वरकों के आपसी मिलान पर क्या दी कृषि अधिकारियों ने सलाह

कृषि अधिकारियों के मुताबिक कई ऐसे उर्वरकों को मिलाकर उपयोग करना फसल के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में किसानों को यह जानकारी होनी चाहिए कि किन उर्वरकों को साथ मिलाकर इस्तेमाल न करें जिससे नुकसान की संभावना हो, यहां नीचे हम उन उर्वरकों को बता रहे हैं, जिन्हें एक साथ मिलाकर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, यह उर्वरक इस प्रकार से हैं:

  • डीएपी के साथ कभी भी जिंक सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट या फेरस सल्फेट नहीं मिलाना चाहिए
  • पोटाश के साथ अमोनियम सल्फेट का उपयोग नही करना चाहिए।
  • यूरिया की अकेली टॉप ड्रेसिंग की जा रही हो तो यूरिया के साथ जिंक सल्फेट, मैग्नीशियम सल्फेट और फेरस सल्फेट मिलाया जा सकता है।
  • यह जानकारी किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है ताकि वे फसल की उपज बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन लागत को भी नियंत्रित कर सकें।

धान की खेती में सही खाद-उर्वरक का कितना महत्व

धान की खेती में खाद-उर्वरकों की भूमिका बहुत अहम होती है। सही मात्रा और सही समय पर उर्वरक देने से पौधे मजबूत होते हैं, उनकी जड़ों का विकास होता है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है। जानते हैं, कौनसा उर्वरक धान की खेती में क्या काम करता है :

  • सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP) : यह फॉस्फोरस प्रदान करता है, जो पौधे की जड़ों के विकास में सहायता करता है।
  • डीएपी (Diammonium Phosphate) : फॉस्फोरस और नाइट्रोजन का अच्छा स्रोत है, जो शुरुआती विकास के लिए जरूरी है।
  • यूरिया : नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत है, जो पत्तों की हरियाली बढ़ाता है।
  • जिंक सल्फेट : जिंक की कमी को पूरा करता है, जिससे फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है।
  • मैग्नीशियम सल्फेट : मैग्नीशियम प्रदान करता है जो क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक है।
  • फेरस सल्फेट : लोहा प्रदान करता है, जो पौधों की पत्तियों के रंग और वृद्धि के लिए जरूरी है।

किसान धान की खेती में उर्वरक का इस्तेमाल करते समय इन बातों का रखें ध्यान

  • उर्वरकों को एक साथ मिश्रित करने से बचें।
  • फसल के लिए आवश्यकतानुसार खाद छिड़कें।
  • छिड़काव करते समय सही मात्रा और उचित समय का ध्यान रखें।
  • कृषि विभाग या विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही खाद का चयन करें।

धान की फसल को खरपवार से रखें मुक्त 

जबलपुर में कृषि अधिकारियों ने सलाह दी है कि 25–30 दिन की अवस्था वाली धान फसल को खरपतवार मुक्त रखें और बालियां निकलने तक खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें।

क्या है धान की फसल में टॉप‑ड्रेसिंग का सही समय 

  • पहली बार यूरिया/नाइट्रोजन 25–30 दिन के बाद दें।
  • अंतिम मात्रा (55–60 दिन बाद) बाली बनने से पहले देनी चाहिए।
  • अधिक पैदावार वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा नाइट्रोजन (65 किग्रा यूरिया), सुगंधित बासमती में 15 किग्रा नाइट्रोजन (33 किग्रा यूरिया) प्रयोग करें।
  • धान में तना छेदक आदि कीटों की रोकथाम हेतु आवश्यकतानुसार ट्राइकोग्रामा या कार्बोफ्यूरान का छिड़काव करें।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर आधारित मृदा परीक्षण के बाद ही सही उर्वरक चयन करें

टॉप–ड्रेसिंग करते समय क्या रखें सावधानियां

  • टॉप‑ड्रेसिंग करते समय 2–3 सेंटीमीटर से अधिक पानी न रखें, क्योंकि इससे उर्वरक के अवशोषण में बाधा आती है।
  • यूरिया को सीधे पत्तियों पर गिराने से बचें, इससे जलन हो सकती है। छिड़काव के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें ताकि भूमि में अवशोषित हो जाए।
  • मृदा परीक्षण (Soil Health Card) अवश्य करवाएं क्योंकि इससे पता चलता है कि मिट्टी में कौन‑से पोषक तत्वों की आवश्यकता है। इससे उर्वरक की अधिक दक्षता मिलती है और पर्यावरण संरक्षण भी होता है।

धान की खेती के संबंध में स्टेप-बाय-स्टेप मार्गदर्शन

  • रोपाई के 25–30 दिन बाद यूरिया टॉप‑ड्रेसिंग करें।
  • पहली मात्रा उठान चरण में और दूसरी मात्रा बाली बनने से पहले (55–60 दिन) में करें।
  • डीएपी या एनपीके जैसे उर्वरक को कीचड़ फैलाते समय खेत में डालें।
  • उर्वरकों का मिश्रण न करें, जैसा कि अधिकारियों ने बताया (जंक सल्फेट आदि)।
  • टॉप‑ड्रेसिंग के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि यूरिया जमीन में मिल जाए।
  • फलियां बनने के दौरान पर्याप्त नमी बनाए रखें।
  • कीट प्रबंधन के लिए आवश्यकतानुसार विस्टिपाइर या त्राइकोग्रामा जैसे जैविक उपाय अपनाएं।

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