
अमेरिका के 25% टैरिफ का भारत के कृषि निर्यात पर क्या होगा असर?
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से भारतीय कृषि और समुद्री निर्यात को झटका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 25% टैरिफ से भारतीय कृषि और समुद्री उत्पादों के निर्यात को बड़ा नुकसान होने की आशंका है। टैरिफ की इस घोषणा के बाद, बासमती चावल, मसाले, कॉफी, झींगा और तंबाकू जैसे प्रमुख उत्पादों का अमेरिका को निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है। इसका फायदा उन देशों को मिल सकता है, जिन पर ये शुल्क नहीं लगे हैं या कम टैरिफ लागू है।
भारत-अमेरिका व्यापार तनाव की पृष्ठभूमि
यह टैरिफ कदम भारत-रूस संबंधों और भारत द्वारा कृषि व डेयरी क्षेत्र को अमेरिकी उत्पादों के लिए न खोलने के जवाब में उठाया गया है। हालांकि, फार्मास्यूटिकल्स, खनिज और सेमीकंडक्टर जैसे प्रमुख क्षेत्रों को इस टैरिफ से बाहर रखा गया है, लेकिन कृषि आधारित और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों पर यह फैसला भारी पड़ सकता है।
भारतीय निर्यात पर संभावित असर
भारत हर वर्ष अमेरिका को लगभग 6.25 अरब डॉलर मूल्य के कृषि उत्पाद निर्यात करता है, जिसमें समुद्री उत्पाद, मसाले और बासमती चावल सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं। इन पर अब अतिरिक्त 25% शुल्क लगने से भारतीय निर्यातकों की लागत बढ़ेगी, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित होगी और कृषि क्षेत्र को भी झटका लग सकता है।
इससे पहले, भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में 10% आयात शुल्क, 4.5% एंटी-डंपिंग शुल्क और 5.8% काउंटरवेलिंग शुल्क देना होता था। अब 1 अगस्त से घोषित नए टैरिफ के चलते कुल शुल्क और दंडात्मक लागत में भारी वृद्धि होगी।
बासमती चावल का निर्यात प्रभावित
भारत से अमेरिका को हर वर्ष लगभग 337 मिलियन डॉलर का बासमती चावल निर्यात होता है। अब तक यह शून्य शुल्क (Zero Duty) पर निर्यात होता था, लेकिन अब 25% शुल्क लगने से इसकी लागत बढ़ेगी और पाकिस्तान को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है।
यूएसडीए के अनुसार, अमेरिका सालाना करीब 1.3 मिलियन टन चावल आयात करता है, जिसमें लगभग 60% हिस्सा भारत व पाकिस्तान के बासमती और थाईलैंड के जैस्मीन चावल का होता है।
समुद्री उत्पादों को सबसे बड़ा नुकसान
झींगा (विशेष रूप से वनामी) जैसे उत्पादों के कारण अमेरिका को भारत के कृषि निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी समुद्री उत्पादों की है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 2.68 अरब डॉलर के समुद्री उत्पाद निर्यात किए। अब टैरिफ बढ़ने से भारतीय निर्यातकों को कीमतें कम करने का दबाव झेलना पड़ेगा, जिससे इक्वाडोर जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को लाभ मिल सकता है।
मसाले, कॉफी और तंबाकू पर भी असर
बासमती और समुद्री उत्पादों के अलावा, मसाले, कॉफी और तंबाकू जैसे अन्य प्रमुख कृषि उत्पाद भी इस टैरिफ से प्रभावित होंगे। भारत हर साल अमेरिका को 647 मिलियन डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात करता है, जो समुद्री उत्पादों के बाद दूसरा सबसे बड़ा कृषि निर्यात है। शुल्क बढ़ने से भारत की बाज़ार हिस्सेदारी घट सकती है और दक्षिण अमेरिकी देशों को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है।
निर्यातकों की चिंता और सरकार से अपेक्षा
निर्यातकों का कहना है कि बढ़ी हुई लागत के चलते अमेरिकी बाजार में टिके रहना मुश्किल होगा, जिसका सीधा असर घरेलू किसानों की आय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। उद्योग संगठनों ने केंद्र सरकार से रणनीतिक प्रतिक्रिया देने और किसानों व निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की अपील की है।



