
चावल के FCI स्टॉक में टूटे चावल की मात्रा कम होगी, इथेनॉल के लिए 100% टूटे चावल की सप्लाई
केंद्र सरकार एफसीआई (FCI) के चावल स्टॉक की गुणवत्ता सुधारने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने जा रही है। इसके तहत 50 लाख टन चावल में से टूटे हुए दानों को अलग किया जाएगा, जिससे चावल की गुणवत्ता और बाजार कीमत दोनों बढ़ेगी।
पिछले वर्ष एफसीआई ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ चावल मिलों के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की थी। उसमें 10,000 टन चावल में से 15% टूटे चावल को अलग किया गया। इसका मकसद यह था कि केंद्र सरकार के लिए खरीदे गए चावल में टूटे दानों की मात्रा 25% से घटाकर 10% तक लाई जाए।
इस साल सरकार ने 52 लाख टन चावल इथेनॉल बनाने के लिए निर्धारित किया है, जिसमें ज्यादातर 100% टूटे हुए चावल ही इस्तेमाल किए जाएंगे। नए मॉडल के तहत चावल मिलें पहले चावल से 15% टूटे दाने अलग करेंगी। इससे बचा हुआ चावल सिर्फ 10% टूटे दानों वाला रहेगा। कम टूटे चावल की खुले बाजार में अच्छी कीमत भी मिल सकेगी।
अगर किसी चावल मिल को 100 क्विंटल चावल देना है, तो अब वह 85 क्विंटल अच्छा चावल (10% टूटे दानों के साथ) और 15 क्विंटल पूरी तरह टूटे चावल अलग-अलग देगी। इससे न सिर्फ एफसीआई के स्टॉक की गुणवत्ता बेहतर होगी, बल्कि इथेनॉल के लिए अलग से टूटे चावल की आपूर्ति भी सुनिश्चित हो पाएगी।
भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (IVPA) के एक सम्मेलन में खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि 10% टूटे दानों वाला चावल खुले बाजार में नीलाम किया जाएगा। वहीं, पूरी तरह टूटे चावल सीधे मिलों से इथेनॉल बनाने वाली डिस्टिलरियों को बेचे जाएंगे, जिससे सरकार को भंडारण, परिवहन और फोर्टिफिकेशन की लागत में बचत होगी।
फिलहाल एफसीआई के पास जरूरत से ज्यादा चावल का भंडार है, जिसे खुले बाजार में बेचना मुश्किल हो रहा है क्योंकि उसकी मांग कम है। सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी योजनाओं के तहत चावल वितरित कर रही है, फिर भी बड़ी मात्रा में स्टॉक बचा हुआ है।
इस समय 10% टूटे वाला चावल निजी खरीदारों को बेचा जा रहा है, और आने वाले समय में सरकार इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में देने पर भी विचार कर सकती है। हालांकि खाद्य सचिव ने साफ किया कि फिलहाल यह कदम कुछ क्षेत्रों में ही संभव हो पाएगा।



