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धान की खेती के लिए अपनाएं श्री विधि, पाएं 50 क्विंटल तक उपज

भारत में खरीफ सीजन के दौरान धान की खेती कई राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। कम लागत में अधिक उत्पादन पाने की दिशा में वैज्ञानिक लगातार नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी क्रम में कृषि विभाग द्वारा “श्री विधि” (SRI – System of Rice Intensification) को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसे मेडागास्कर विधि भी कहा जाता है। यह पारंपरिक तरीके की तुलना में अधिक लाभकारी साबित हो रही है और इसके जरिए प्रति हेक्टेयर 30 से 50 क्विंटल तक धान का उत्पादन संभव है।

क्या है श्री विधि?

श्री विधि की शुरुआत 1980 के दशक में मेडागास्कर से हुई थी। यह तकनीक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकसित की गई है, जो धान की उपज बढ़ाने में कारगर मानी जाती है।

श्री विधि से धान की खेती कैसे करें

  • 8–12 दिन पुराने पौधों का रोपण किया जाता है।

  • प्रत्येक पौधा 20×20 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है जिससे हवा, पोषक तत्व व जल बेहतर तरीके से मिलते हैं।

  • AWD तकनीक से सिंचाई की जाती है, जिससे पानी की बचत होती है।

  • जैविक खाद जैसे गोबर व वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया जाता है।

श्री विधि के लाभ

  • बीज की खपत 80–90% तक कम होती है, प्रति हेक्टेयर केवल 5–8 किलोग्राम बीज पर्याप्त।

  • पानी की खपत में 25–50% तक कमी आती है।

  • उत्पादन में 40–50% तक बढ़ोतरी देखी गई है।

  • लागत घटती है और कुल आमदनी बढ़ती है।

उत्पादन और आमदनी में बढ़ोतरी

  • भारत में श्री विधि अपनाने पर 6–10 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिला है, जबकि पारंपरिक पद्धति से यह 4–6 टन रहता है।

  • नेपाल में श्री विधि अपनाने पर 7–12 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दर्ज किया गया है।

  • लागत घटने और उपज बढ़ने से शुद्ध आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।

श्री विधि से खेती की चरणबद्ध प्रक्रिया

  1. नर्सरी की तैयारी: 10 मीटर लंबा, 5 सेमी ऊंचा बेड तैयार करें, 50 किलो गोबर खाद मिलाएं। प्रति बेड 120 ग्राम बीज उपचार कर बोएं।

  2. खेत की तैयारी: गहरी जुताई करें, खरपतवार नष्ट करें और खेत को हल्का नम रखें।

  3. रोपाई: 20×20 सेमी की दूरी पर एक-एक पौधा रोपें। जड़ें सीधी रखें और 2 सेमी की गहराई में लगाएं।

  4. सिंचाई प्रबंधन: भर–खाली नीति अपनाएं – जमीन में नमी बनी रहे फिर दो-तीन दिन सूखने दें।

  5. उर्वरक प्रबंधन: गोबर, वर्मी कम्पोस्ट और संतुलित एनपीके का उपयोग करें।

पर्यावरणीय लाभ

  • मीथेन उत्सर्जन में 30–70% तक कमी, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक असर।

  • मृदा की संरचना में सुधार होता है और फसल की सूखा सहनशीलता बढ़ती है।

 किसानों के लिए एक क्रांतिकारी तकनीक

श्री विधि या मेडागास्कर विधि आज के समय में धान किसानों के लिए एक वरदान से कम नहीं। यह विधि कम बीज, कम पानी और कम रासायनिक खाद में उच्च उत्पादन सुनिश्चित करती है। साथ ही यह लागत घटाकर लाभ बढ़ाती है और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती है।

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