
आईजीसी का अनुमान: गेहूं और मक्का की अच्छी पैदावार से 2025-26 में वैश्विक अनाज उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर
अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद (आईजीसी) के अनुसार, भले ही जून के मुकाबले अनुमान में थोड़ी कमी आई हो, फिर भी 2025-26 के विपणन वर्ष में वैश्विक अनाज उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना है। परिषद ने जौ और ज्वार की उपज में गिरावट का अनुमान जताया है, जिससे गेहूं और मोटे अनाज के कुल उत्पादन अनुमान में 10 लाख टन की कटौती की गई है।
इसके बावजूद गेहूं और मक्का की बेहतर पैदावार के चलते कुल अनाज उत्पादन में 2.6% की वृद्धि के साथ 2.376 अरब टन तक पहुंचने की उम्मीद है। गेहूं उत्पादन 80.8 करोड़ टन आंका गया है, जो पिछले साल की तुलना में 80 लाख टन अधिक है। वहीं, मक्का उत्पादन में 4.8 करोड़ टन की बढ़ोतरी के साथ यह आंकड़ा 1.276 अरब टन तक पहुंच सकता है।
आईजीसी ने यह भी बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में गेहूं और मोटे अनाज का उपयोग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की संभावना है। खाद्य उपयोग में 1.3 करोड़ टन, चारे में 1.6 करोड़ टन और औद्योगिक उपयोग में 70 लाख टन की वृद्धि की संभावना है, जिससे कुल खपत में 2% की सालाना बढ़ोतरी का अनुमान है।
सोयाबीन और तिलहन क्षेत्र में भी रिकॉर्ड की उम्मीद
तिलहन के क्षेत्र में, 2025-26 में वैश्विक सोयाबीन उत्पादन में 1% वृद्धि का अनुमान है, जिससे यह 42.8 करोड़ टन के अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है। यह वृद्धि मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध के देशों में अधिक उत्पादन के कारण होगी। हालांकि आपूर्ति पर्याप्त बनी रहेगी, लेकिन खपत बढ़ने से कैरीओवर स्टॉक में कुछ गिरावट आ सकती है। दक्षिण अमेरिकी देशों की व्यापार हिस्सेदारी में वृद्धि के साथ वैश्विक सोयाबीन आयात में भी 2% की बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है।
चावल की खपत में वृद्धि, कीमतों में गिरावट प्रमुख कारण
चावल उत्पादन में हल्की बढ़ोतरी का अनुमान है, विशेष रूप से प्रमुख निर्यातक देशों में। अफ्रीका और एशिया में बढ़ती खाद्य आवश्यकताओं के कारण वैश्विक चावल की खपत में भी 1% की वृद्धि का अनुमान है।
मूल्य स्थिति: मक्का और सोयाबीन ने बढ़ाया जीओआई
कीमतों के मोर्चे पर, आईजीसी अनाज और तिलहन सूचकांक (GOI) पिछले महीने की तुलना में 1% बढ़ा है। मक्का और सोयाबीन की कीमतों में तेजी ने गेहूं और चावल की मामूली गिरावट की भरपाई कर दी। हालांकि, साल-दर-साल के आधार पर जीओआई अब भी 3.4% नीचे है, जिसका प्रमुख कारण चावल की कीमतों में आई 32% की तेज गिरावट है, जिसने मक्का की बढ़ी हुई कीमतों का प्रभाव संतुलित कर दिया।


