पशुधन संसार

प्रोटीन से भरपूर इस चारे से बढ़ेगा पशुओं का दूध उत्पादन

गर्मी के मौसम में अक्सर पशुओं के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है, जिससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इस समस्या का समाधान लेकर आया है हरियाणा के हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU)। यहां के चारा अनुभाग ने ज्वार की एक नई उन्नत किस्म CSV 64 F विकसित की है, जो न केवल स्वाद में मीठी है, बल्कि प्रोटीन से भरपूर भी है। इसे गाय और भैंस बड़े चाव से खाती हैं, और इसका नियमित सेवन दूध उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है।

यह किस्म खास तौर पर उन किसानों के लिए उपयोगी है जो चारे की कमी से जूझ रहे हैं या पशुओं से बेहतर दूध उत्पादन चाहते हैं।


CSV 64 F: ज्वार की नई किस्म के फायदे

  • 32% अधिक मिठास: ज्वार की अन्य किस्मों की तुलना में इस किस्म में अधिक मिठास होती है, जिससे पशु इसे अधिक पसंद करते हैं।

  • उच्च प्रोटीन मात्रा: इसमें मौजूद उच्च प्रोटीन पशुओं की सेहत सुधारने के साथ दूध की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ाने में मदद करता है।

  • बंपर उत्पादन: एक ही कटाई में भरपूर हरे चारे की पैदावार होती है।

  • कम विषाक्तता: इसमें केवल 67 PPM धूरिन होता है, जिससे पशुओं को नुकसान का खतरा बेहद कम रहता है।


CSV 64 F की खास विशेषताएं

  • 466 क्विंटल हरा चारा प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन।

  • 122 क्विंटल सूखा चारा प्रति हेक्टेयर, जो पहले की किस्म CSV 35 F से 6.9% अधिक है।

  • तेज हवा और बारिश में भी नहीं गिरती यानी मजबूत पौधा।

  • तना छेदक और गोभ छेदक कीटों से सुरक्षा


किन राज्यों में करें खेती?

यह किस्म खासकर उत्तर भारत की जलवायु को ध्यान में रखकर विकसित की गई है और निम्नलिखित राज्यों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है:

  • हरियाणा

  • पंजाब

  • राजस्थान

  • उत्तर प्रदेश

  • उत्तराखंड

  • गुजरात

HAU को ज्वार पर किए गए शोध के लिए ICAR द्वारा लगातार दो वर्षों तक “सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र” का पुरस्कार मिल चुका है, जो इस किस्म की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्रमाणित करता है।


CSV 64 F की खेती कैसे करें?

  • खेत की तैयारी: 2–3 गहरी जुताइयों के बाद पाटा चलाकर मिट्टी समतल और भुरभुरी बना लें।

  • बुवाई का समय:

    • खरीफ मौसम में: जून से जुलाई

    • सिंचाई सुविधा होने पर: अक्टूबर–नवंबर

  • बीज मात्रा: 35–40 किलो प्रति हेक्टेयर।

  • बीज उपचार: बुवाई से पहले थायरम या कार्बेन्डाजिम से उपचार करें।

  • बुवाई दूरी: कतार से कतार की दूरी 25–30 सेमी रखें।

  • नमी: बुवाई के समय खेत में उचित नमी होनी चाहिए, आवश्यक हो तो हल्की सिंचाई करें।


यदि आप पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ाना चाहते हैं और एक स्वादिष्ट, पौष्टिक एवं सुरक्षित चारे की तलाश में हैं, तो CSV 64 F आपके लिए बेहतरीन विकल्प है। यह किस्म कम लागत में बेहतर उत्पादन और अधिक आय दिलाने की क्षमता रखती है।

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