खेती संसारविचार संसार

सोयाबीन की फसल में स्टेम फ्लाई का प्रकोप: फसल बचाने के लिए किसान करें ये उपाय

सोयाबीन एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जिसकी खेती देश के कई राज्यों के किसान करते हैं। हाल ही में सोयाबीन की फसल पर स्टेम फ्लाई कीट का प्रकोप तेजी से फैल रहा है जिसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है ताकि इस कीट से सोयाबीन की फसल को बचाने में किसानों की सहायता हो सके।

बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश के सीहोर जिले में सोयाबीन की फसल पर स्टेम फ्लाइ कीट का प्रकोप देखा गया है। यहां के विभिन्न गांवों और खेतों से मिली रिपोर्ट्स व कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि यह कीट मध्यम से गंभीर स्तर तक फसल को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में सोयाबीन की फसल को बचाने के लिए कृषि विभाग की गाइडलाइन किसानों को जानना बेहद जरूरी हो जाता है, तो आइए जानते हैं इसके बारे में।

स्टेम फ्लाई कैसे नुकसान पहुंचाता है सोयाबीन की फसल को

स्टेम फ्लाई (Stem Fly) मुख्य रूप से सोयाबीन की फसल के अंकुरण से लेकर शुरुआती 10 से 30 दिन की अवस्था में पौधों पर हमला करता है। यह कीट पौधों के तनों के भीतर सुरंग बनाकर भोजन करता है जिससे पौधे की बढ़त रुक जाती है, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और समय से पहले झड़ सकती हैं। अधिक संक्रमण होने पर पौधे मुरझाकर सूख भी सकते हैं।

कैसे करें स्टेम फ्लाई की पहचान

कृषि विभाग ने स्टेम फ्लाई की पहचान के लिए अहम लक्षण बताए हैं। यह कीट तने के अंदर सुरंग बनाकर रहता है, जहां इसका लार्वा विकसित होता है। ऐसे में तने की ऊपरी त्वचा के नीचे सफेद रंग की सुरंग दिखाई देती है। पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और झड़ सकती हैं। संक्रमित पौधे धीरे बढ़ते हैं या सूख जाते हैं। तना छीलने पर अंदर सुरंगनुमा मार्ग और कीट लार्वा नजर आता है।

स्टेम फ्लाई से बचाव के लिए क्या करें किसान

स्टेम फ्लाई से फसल की सुरक्षा के लिए कृषि क्रियात्मक उपाय (Agronomic Practices) और रासायनिक उपाय अपनाए जा सकते हैं। इसके तहत किसानों को चाहिए कि समय पर बुवाई करें, बहुत जल्दी या बहुत देर से बुवाई करने से बचें। फसल चक्र अपनाएं, एक ही खेत में हर साल सोयाबीन न उगाएं। बुवाई के लिए केवल स्वस्थ और प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें। बुवाई से पहले बीजों को थायोमेथोक्साम 30% (10 मिली/किलोग्राम बीज) से बीजोपचार करें। वहीं बुवाई के बाद इसका प्रकोप होने पर रासायनिक नियंत्रण के उपाय किए जाने चाहिए। इसमें यदि स्टेम फ्लाई का प्रकोप 10 दिन से ज्यादा हो चुका है, तो इमिडाक्लोप्रिड 17.8%: 0.3 मिली/लीटर पानी की दर से या 150 मिली/हेक्टेयर में उपयोग करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। इसके अलावा फ्लोनिकैमिड 50%: 0.3 ग्राम/लीटर या 120 ग्राम/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

प्रारंभिक संक्रमण में अपनाएं जैविक ऑप्शन (Organic Options)

प्रारंभिक अवस्था में किसान जैविक कीटनाशक का भी सहारा ले सकते हैं। इसके तहत किसान थ्रिप्सन, डेमजेन्टि प्रपानउ या अन्य जैविक विकल्प – 5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित विकल्प हैं और शुरुआती संक्रमण में कारगर साबित हो सकते हैं।

स्टेम फ्लाई से बचाव के लिए अन्य महत्वपूर्ण सुझाव

  • बुवाई के 15 से 30 दिन के बीच फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए।
  • कीट का लक्षण दिखते ही नजदीकी कृषि अधिकारी या कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करना चाहिए।
  • किसी भी कीटनाशक के उपयोग से पहले लेबल पर दिए निर्देशों को जरूर पढ़ना चाहिए।
  • समूह में छिड़काव या सामूहिक प्रबंधन से कीट नियंत्रण में अधिक सफलता मिल सकती है।

किसानों के लिए सलाह

सोयाबीन की फसल में स्टेम फ्लाई का प्रकोप एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, लेकिन यदि समय पर सही पहचान और नियंत्रण उपाय अपनाए जाएं तो नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है। कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए तकनीकी उपाय किसानों के लिए व्यावहारिक और कारगर हैं। जरूरी है कि किसान सतर्क रहें और नियमित रूप से फसल की निगरानी करते रहें।

Related Articles

Back to top button